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Sunday 31 December 2017

ज्ञान व अनुभवो की कुंजी से खोले 2018 का ताला ...



कहते है ज्ञान से बड़ा कोई खज़ाना नही है , कोई ऐसी दौलत नही है जो ज्ञान को खरीद सके , ज्ञान जिसे कोई चुरा नही सकता । क्यों कह रहा हूँ मैं ...आखिर ज्ञान को ही सर्वोत्तम क्यों माना गया है । ज्ञान की परिभाषा को परिभाषित करना यानी सूरज को दिए दिखाने जैसा है । 

बात जब 2017 को अलविदा कहने की चल रही है। हर किसी मे यह बताने की झलक दिख रही है कि उस अमुक व्यक्ति ने वर्ष 2017 में किन उपलब्धियों पर फतह हासिल की और उन्होंने क्या खोया ... हर किसी ने अपने बीते अतीत और आने वाले भविष्य पर मनन करना शुरू कर दिया है । आपके मन मे सवाल उठ रहा होगा आखिर मैं ऐसा आपको क्यों बता रहा हूँ ....

2017 मेरे लिए उन शब्दों में से एक है जिसे कहकर तो नही बताया जा सकता । लेकिन अपने अतीत को शब्द दे पाना भी नए वर्ष के जश्न में चारचांद लगा देने जैसा होता है । 2017 ने मुझे जो दिया वह किसी ऐसे ख़ज़ाने से कम नही है जिसकी लालसा छोड़ मनुष्य उस शोहरत के पीछे भागता है जोकि भौतिक है अल्पसमय मात्र का एक वस्तु है लेकिन उन सबसे ऊपर उठकर एक इसी दौलत है जिसे ज्ञान कहा गया है ।

बीते कई वर्षों की तरह आज भी मेरे पास कोई जमा पूंजी नही है । ना ही कोई धन दौलत । है तो बस ज्ञान ,अनुभव ,और कुछ और प्राप्त कर लेने की लालसा से ओत प्रोत मेरा मन ,जिसके अंदर ना तो कोई प्रेम धुन बज रही है और ना ही नए वर्ष के जश्न में डूबी महफ़िल का कोई साथी । लेकिन उससे बढ़कर आज मेरे पास कोई साथी है तो वह ज्ञान का भंडार अर्जित कर उसमे निरंतर कुछ नया करने का प्रयास जिससे मैं उस ख़ज़ाने को भर सकूँ जो अनंत है । अद्वितीय है । अकल्पनीय है । एक ऐसा महासगार जिसमे कोई भी गोता लगा सकता है । 

मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि आप वर्ष भर ज्ञान अर्जित करते रहिए , क्योंकि भौतिक जीवन मे जो कुछ आप प्राप्त करते है उनमें सबसे महान और उच्च स्थान पर ज्ञान को रखा गया है । जो ज्ञानी है उसके सामने सभी नतमस्तक होते है । 

( लेखक के अपने विचार )

आभार 

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव

नए वर्ष की आप सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं आपका नया वर्ष मंगलमय हो ।

Wednesday 27 December 2017

कल्पनाओं के गांव का स्वाद चखते नगरवासी ...



कहा जाता है तीनो लोको का स्वर्ग कही परिलिक्षित होता है तो वह है "गांव" । जी हां ये मैं नही कह रहा ,हमारे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चारो वेद , पुराणों ,महाकाव्यों के साथ हिंदी ,साहित्यकारों की रचनाओं में गांव एकसुर में बसता है। जिसके दर्शन को स्वयं देवता स्वर्ग से गाँव खेत खलिहानों के विचरण को धरती पर आते है और भाव विभोर होकर स्वर्ग लोक में धरती के स्वर्ग का बखान करते है जिसका वर्णन पुराणों में लिखा गया है।  


विश्व मे भारत देश को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दी गयी है । क्योंकि आज भी भारत देश मे गाँवों में सबसे ज्यादा आबादी निवास करती है जोकि व्यवसाय ,उद्योग ,खेती से अनाज उगाना जैसे अनेक संसाधनों से परिपूर्ण रहे है लेकिन जैसे जैसे समय बदलता गया ,नए परिवेश में व्यक्ति ने गाँवों से पलायन कर नगरों में उस व्यवसाय की खोज शुरू कर दी जोकि गाँवों में प्राचीनकाल से मौजूद है । विडंबना यह है कि व्यक्ति के सामने जो कुछ होता है वह उसे स्वीकार ना करके उस तरफ़ भागता है जहां जाने पर वह कभी नही लौटता । 


जी हां मेरा कहना इसलिए उचित हो सकता है क्योंकि आज मैंने कुछ ऐसा ही महसूस किया । गाँवों से नगरों में पयालन कर रह रहे लोगो मे गाँवों की संस्कृति को करीब से जुड़ते देखा । मिट्टी के घरों में तांक झांक तो कभी गायों के बछिया के साथ खेलना और फिर गांव के मध्य में बने शिव मंदिर पर नतमस्तक होना।  जहां ना कोई धर्म दिखा ना कोई जातिपाति । लेकिन यह क्या ....यह तो छणिक भर के लिए कल्पना मात्र का वह गांव जिसको प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है में जोकि एक समय अंतराल के बाद उजड़ जाएगा । 

प्रदर्शनी में आये एक वरिस्ठ नागरिक से मैंने उत्सुकता से जानना चाहा कि क्या यह वही गांव है जिसमे आपका बचपन बीता । तकरीबन 90 वर्ष के हो चुके बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यह दुर्भाग्य है कि आज गाँवों की सुंदरता को छोड़ आये लोग प्रदर्शनी में गाँवों के स्वाद को चखने का प्रयास करते है ।

  उत्सुकता इतनी की मैं तस्वीरों में मशगूल हो गया कि अचानक एक तकरीबन 15 वर्ष की छोटी बच्ची ने मेरे प्रश्नों के एक जवाब में कहा कि गाँवों में भी नगरों की तरह सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए । जिनके साथ उनकी माँ ने भी बिटिया के सुर में सुर मिलाये । 

सवाल यह उठता है कि क्या क्षणिक भर की कल्पनाओं से ही स्वर्ग दर्जा प्राप्त गाँवों की सूरत बदली जा सकती है। नगरों में लगने वाली प्रदर्शनियों में सेल्फी लेने वाले लोग गाँवों में जाना आखिर क्यों पसंद नही करते ....इन सवालों के जवाब की तलाश अब जरूर शुरू हो गयी है .....



धन्यवाद

(लेखक के अपने विचार)

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव

#कृपया_अपने_विचार_जरूर_साझा_करें ।

Saturday 16 December 2017

समाज मे परिलाक्षित हो धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर ,विश्वविद्यालय ने परिसर में किया अनोखा प्रयोग



यह तस्वीरे है अवध प्रान्त की राजधानी रही डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फ़ैज़ाबाद के परिसर के दीवारों की, जिनपर मनोहारी दृश्यों का चित्रण बगीचे में खिले मनमोहक फूलों की तरह विश्वविद्यालय को सुगंधित कर रही है । अयोध्या फ़ैज़ाबाद की अवध संस्कृति को परिलाक्षित कर रही दीवारे ऐतिहासिक सांस्कृतिक दृश्यों से परिपूर्ण हो विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के भागीरथी प्रयास को दर्शा रही है ।



नवांकुरित कलाकारों के अनूठे प्रयास ने विभिन्न कॉलेजो , संस्थानों व परिसर में फाइन आर्ट्स के पाठ्यक्रम के छात्र छात्राओं ने अपने अनुभवों को एक माला में पिरो एक नया अध्याय भी लिख दिया है । दीवारों में ब्लॉक में अयोध्या फ़ैज़ाबाद की धार्मिक विरासत , संस्कृति , ऐतिहासिक धरोहरो , राम की पैड़ी के साथ साथ त्रेता युग से लेकर कलियुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों का चित्रण कर समाज मे एक संदेश दिया है कि कला के माध्यम से क्षीण हो रही संस्कृती को प्लास्टिक पेंट कुंची से दर्शा स्वयं में मार्गप्रशस्त कर रही है । 



विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के प्रयास से 5 नए पाठ्यक्रमो में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स के कुशल शिक्षकों के माध्यम से छात्र छात्राओ ने परिसर की दीवारों पर श्री राम के आदर्शों के साथ धार्मिक मंदिरो पौराणिक स्थलों को चस्पा कर दिया है । प्रदेश में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी अयोध्या की संस्था दीपा लोक कला संस्थान के कलाकारों ने सप्ताह भर कड़ी मेहनत से अयोध्या फ़ैज़ाबाद को कुंची के माध्यम से रूपायित करने का भरपूर प्रयास किया है । जिसमे साकेत महाविद्यालय ,गुरुनानक गर्ल्स कॉलेज के साथ अन्य कॉलेजो के नवांकुरित कलाकारों ने अपना परिचय लोक कलाओं को रूपायित कर दिया है । 


फाइन आर्ट्स की शिक्षिका पल्लवी सोनी ने लेखक से अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि फ़ैज़ाबाद अयोध्या की संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत की बारीकियों को समझने के बाद नए पाठ्यक्रम में शिक्षा ले रहे छात्रों से परिसर की दीवारों पर प्लास्टिक पेंट से चित्रण करवाना चुनौती पूर्ण रहा साथ ही शिक्षिका रीमा सिंह ने गौरवान्वित होते हुए कहा कि नए पाठ्यक्रम में प्रवेश लिए छात्रों ने सहज मन से सकुशलता पूर्वक अपने कार्यो को निभाया और अवध की धार्मिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक विरासत व लोक कलाओं को परिलाक्षित किया । 



दीपा लोक कला संस्थान की संचालक दीपा सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में उनके संस्थान से आये कलाकारों ने पहली बार दीवारों पर ऐस चित्रो का चित्रांकन किया। अनुभवो की बात करे तो चुनौती से भरे कार्य में कम अनुभवो के साथ दीपा लोक कला के संस्थान के बच्चो ने बड़ी तन्मयता के साथ अपनी चुनौती को पूरा किया साथ ही नए अनुभव के साथ विश्वविद्यालय में कुलपति अवध विवि के निर्देशन में अनुभवित हुए । 

विश्वविद्यालय में 6 महीनों में कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने विश्वविद्यालय के भविष्य में कई ठोस व प्रगतिशील कदम उठाए है ऐसे में जब लेखक ने कुलपति अवध विश्वविद्यालय से परिसर की दीवारों पर अंकुरित की गई चित्रकारी पर बातचीत में बताया कि विश्वविद्यालय में सालो से टूटी जर्जर दीवारों पर एक प्रयोग किया गया । विश्वविद्यालय समाज सापेक्ष हो सके इसका भी पूरा ध्यान रखा गया। फ़ैज़ाबाद अयोध्या के प्रमुख स्थलों को 300 ब्लॉकों के 70 ब्लॉकों में दर्शाया गया है जिसने समाज मे यह भी संदेश दिया कि विश्वविद्यालय समाज का एक अभिन्न अंग है ।



अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव 

मेरे द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री भी लिंक पर क्लिक करके यहाँ से देख सकते है 

 https://youtu.be/R35w5vGUs3Q






Monday 16 October 2017

अयोध्या बोली: एक दो और सीएम योगी के दौरे ...बदल देंगे अयोध्या की तस्वीर


यह तस्वीर अयोध्या के राम की पैड़ी की है जोकि इनदिनों आईने की तरह झलक रही है , सरयू नदी किनारे बसी अयोध्या का नज़ारा देखते ही बनता है और हो भी क्यों ना ... प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राचीनतम परंपरा का निर्वाहन करने स्वयं अयोधया पहुँच रहे है । त्रेतायुग की परिकल्पना के फलस्वरूप श्री राम के अयोध्या आगम पर अयोध्या की रोशनी से समग्र ब्रम्हांड प्रकाशित जगमगा रहा था उसी परिकल्पना को जीवांत करने के लिए दीपावली का पर्व बड़े हर्षउल्लास धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी चल रही है।

अयोध्या कई सदियों से तिरस्कृत रही , दशक बदले ,निज़ाम बदला ...मुगलो से अंग्रेजी हुकूमत और फिर आज़ाद भारत लोकतान्त्रिक देश की 70 सालो में सरकारें बदली लेकिन अयोध्या से गुजरने वाली सियासी राजनीतिक वोटो की धारा अयोध्या की गलियो को विकास के उन पन्नो से ना जोड़ सकी ,जिस हक़ के लिए अयोध्या सदियों से विकास की आस लगाए बैठी रही ... यह मैं नही कह रहा , ये कह रही है अयोध्या की वो आँखे जिन्होंने अयोध्या को पूर्णिमा अमावस की रातों की तरह बदलते देखा है ।


उन आँखों में आज विकास के दीपक जलते देखे मैंने जिन्होंने तंग गलियों में बदलसी और बदहाली के अंधेरो को करीब से देखा है , जुबां हो या बेज़ुबान लफ्ज़ एक ही सुनाई दिए आज मुझको की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक दो और दौरे अयोध्या के कर लेते तो अयोध्या नगरी की तस्वीर तक़दीर बदल जाती , और बदलेगी भी क्यों नही ! जो मुख्यमंत्री अयोध्या को अपने मन के ह्रदय में बसाते है उनके आगमन से पहले ज़ख्म खायी सड़को पर मरहम रख दिया जाता है , जिन मंदिरों में रंगरोगन नही हो पाता उनको रंग बिरंगे रंगों से सुशोभित कर दिया जाता है , हर उस टूटे की मरामम्मत करवा दी जाती है जिसकी आस में ना जाने कितनी आँखे बूढ़ी हो चुकी है ।

भावनाओ से ओत प्रोत हो जाता है मेरा मन जब उनको लिखता हूँ जिनसे बस चलते चलते यूँ ही अयोध्या का हाल चाल ले लिया करता हूँ ...... बोलो जय श्री राम

आभार

(लेखक के अपने विचार )

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव

Friday 13 October 2017

भगवा दिवाली है मनानी तो आइये इस बार अयोध्या ....

अयोध्या के राम कथा पार्क में 18 अक्टूबर छोटी दिवाली की तैयारियाँ जोरो पर है ,बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या पधारेंगे , तो जाहिर सी बात है अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा होगा तो ऐसे में मैं भी निकल पड़ा उस भव्य आयोजन की तैयारियों का जायजा लेने जिसकी परिकल्पना त्रेतायुग की दीपावली से की जा रही है । क्योंकि पुराणों में उल्लेख है कि त्रेतायुग की दिवाली को देखने स्वयं कुबेर व् देवतागण अयोध्या पहुँचे थे । यही नहीं गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहा है वर्णय ना जाय अवध निकाई यानी उस समय की अयोध्या की जो शोभा रही श्री राम के अयोध्या आगमन पर उसका वर्णन ही नही किया जा सकता ।

राम कथा पार्क के प्रवेश द्वार पर ही मुझे भगवा रंग के दर्शन हो गए । ज्ञात हो कि सीएम योगी आदित्यनाथ सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या निजी कार्यक्रम भगवा रंग से परहेज करते है लेकिन यहाँ का तो नज़ारा कुछ अदभुद दिखा जहाँ हर तरह भगवा ही भगवा प्रतीत हो रहा , मालूम हो कि सीएम योगी का सख्त निर्देश है कि वीआईपी कल्चर का स्वागत और भगवा रंग से रंगरोगन न करवाया जाए ,लेकिन सरकार में विधायक जनप्रतिनिधि हो या सरकारी अधिकारी सीएम योगी के निर्देशों को नज़र अंदाज़ करते दिखाई देते है ,मानो घर के मुखिया को मुह चिढाना ...

यह भी हो सकता है कि अयोध्या में इस बार की दिवाली को भाव्यता देने के लिए जिनको अयोध्या धर्म नगरी सजाने सवारने का दायित्व सौंपा गया है उन्हें भगवा पसंद हो ....तो क्या अब संचालकों की पसंद से दिवाली का आयोजन किया जायेगा या फिर सीएम योगी को रिझाने के लिए भगवा दिवाली का आयोजन ! इसका जवाब तो संचालक या खुद मुखिया ही दे पाएंगे

आत्मसंतुष्टि के लिए मैंने वहाँ मौजूद कुछ लोगो से यह जानना चाहा की कि कब कब कथा पार्क में रंगरोगन होता है तो जवाब कुछ ऐसा मिला जिसकी कल्पना हम आप नहीं कर सकते या कुछ यूँ कहे कि अयोध्या में 18 अक्टूबर को सीएम योगी की दिवाली और राम कथा पार्क में रंगरोगन, सफाई और  कथा पार्क में पहली बार त्रेतायुग की दिवाली की परिकल्पना मानो एक साथ पहली बार धरती पर परिलाक्षित हो रहे हो।राम कथा पार्क जिसे राम की संस्कृति चरित्र से परिचित रखने के लिए करोड़ो की धनराशि से निर्माण करवाया गया , जिसमे रामलीला के मंचन के लिए कई परियोजनाएं भी बनी लेकिन एक मामूली पार्क की तरह तिरस्कृत रहा । लेकिन जिस तरह सीएम योगी का दिवाली में आगमन हो रहा है भगवा रंग से ही सही राम कथा पार्क का जीवरोद्धार हो ही गया .... बोलो जय श्री राम


आभार
( लेखक के अपने विचार )

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव 

Tuesday 10 October 2017

विडम्बना :दिखावे के रंगरोगन से त्रेता के राम कलियुग में उतारने की तैयारी .....

आज निजी काम से अयोध्या के सरयू नदी किनारे घाट पर गया हुआ था ,अचानक मेरी नज़र महिला स्नान गृह की तरफ गयी जहा पर कुछ मजदूर महिला स्नान गृह में रंगरोगन कर रहे थे । मेरे ख्याल से स्नान गृह उद्घाटन के बाद अब उसमें रंगरोगन होता दिखा ... इतना देखते ही हर्षोउल्लसित होकर मैंने वहां मौजूद मजदूर से पूछ ही लिया कि आख़िर क्यों यहाँ पर रंगरोगन का कार्य चल रहा है ,तभी उसमे से किसी सज्जन ने कहा ....आप नहीं जानते 18 अक्टूबर को छोटी दिवाली में प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपने कैबिनेट मंत्रीमंडल के साथ अयोध्या पधार रहे है ।

उत्सुकता बढ़ी की सीएम योगी के आने पर ही सफाई व्यवस्था क्यों ... तो एक सज्जन ने कहा दिन के 365 दिन सप्तपुरियों तीर्थो की अयोध्या को गन्दगी ,संक्रमण ,जगह जगह टूटी सड़को से गुजरना पड़ता है लेकिन जैसे ही कोई नेता या सरकार का अधिकारी अयोध्या पहुँचता है यहाँ सफाई गति पकड लेती है । लेकिन अयोध्या के चार प्रमुख त्योहारों राम नवमी दशहरा स्नान व् परिक्रमा में श्रद्धालुओं राम भक्तो को गन्दगी की ढेर से ही निकलना पड़ता है । तो किसी दूसरे सज्जन ने सहजता से मुस्कुराते हुए कहा कि करोडो की धनराशि जो आवंटित होती है उसकी एक झलक दिखाने के लिए सांसद विधायक और सरकारी अफसर रंगरोगन के साथ टूटी सड़को में मरहम भर देते है जिससे अयोध्या का वो ज़ख्म प्रदेश के मुखिया ना देख सके जो यहाँ का आमजनमानस देख रहा है । यह सुनकर काफी निराश हुई।


दिखावे के रंगरोगन पर चर्चा हो ही रही थी कि एक महाशय जोकि अन्य जनपद के प्रतीत हो रहे उन्होंने कहा अयोध्या के प्रवेश द्वार पर तुलसी दास जी का एक दोहा है ...जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी  अर्थात जिसकी जैसी दृष्टि होती है, उसे वैसी ही मूरत दिखाई देती है ....जी हां सदियों से माँ सरयू नदी किनारे बसी अयोध्या आज भी अपने अस्तित्व को तलाश रही है ।

श्री राम के नाम पर राजनीती कर रहे राजनीतिक दल वोटो को भुनाने के लिए अयोध्या के भविष्य को गर्त में झोंकते जा रहे है। क्योंकि केंद्र प्रदेश की सत्ता में काबिज राजनितिक दलों ने अयोध्या को महज़ अयोध्यावासियों के दिलो में बसे श्री राम की आस्था पर सत्ता हासिल तो की लेकिन अयोध्या के साथ सौतेला व्यवहार करने में ज़रा सी भी कसर नहीं छोड़ी । तुलसी दास जी के दोहे पर गौर करे तो राजनितिक दलों को राम सत्ता की सीढ़ी का रास्ता के सिवा कुछ ना दिखे ।

क्षणिक भर के लिए वहां मौजूद श्रद्धालुओं से वार्तालाप कर अयोध्या के विकास को लेकर मन पसीझ गया कि कैसे राम नामी जप की माला जपकर राजनितिक दल हो या सरकारी अमला महज अपनी जेब भरने में लगा है । आखिर क्या ऐसे होगी अयोध्या में रामराज्य की स्थापना , जहाँ पर भूखे मगरमच्छ की तरह घात लगाए राजनितिक दल के लोग बैठे है जोकि अयोध्या के विकास की परियोजनाओं पर बंदरबाट करके 1 दिन के रंगरोगन से अयोध्या को विश्वपटल पर दिखाने का सपना दिखाते है ।


आभार

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव

Monday 2 October 2017

चुटकी : सरकारी विज्ञापनों को देखकर भागेंगे चिकुनगुनिया डेंगू के मच्छर ....

डेंगू चिकुनगुनिया से पीड़ित मरीजों के लिए खुशखबरी है , अखबारों में सरकारी विज्ञापनों को देखकर अब संक्रमण फैला रहे मच्छर जल्द ही नौ दो ग्यारह होने वाले है । देश के पीएम की फोटो और डेंगू चिकनगुनिया से कैसे बचाव किया जाए इसके लिए अखबारों में विज्ञापनों के जरिये भरपूर बताया जा रहा है कि कैसे इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है । मालूम पड़ता है कि विज्ञापनों पर करोडो खर्च कर रही सरकार उपचार न करके विज्ञापनों के जरिये संक्रमण से मुक्त होने का बीड़ा उठाने वाली है |





 स्वच्छता अभियान हो या फिर डेंगू चिकुनगुनिया जैसी बीमारी से लड़ाई , समाचारपत्रों सोशल मीडिया और टीवी में सरकारी विज्ञापनों की भरमार देखी जा सकती है । सोशल मीडिया के माध्यम से डेंगू से बचाओ अभियान में जितनी तेजी दिखती है अगर अस्पतालों में मरीजो के लिए उपचार पर सरकार धनराशी खर्च करती तो शायद घातक बीमारी को कम किया जा सकता | धरातल पर डेंगू चिकनगुनिया के मच्छरो से निजात दिलाने के लिए किया जाता तो हर साल आकड़ो में बढ़ोतरी ना होती | 

वही बात अगर आंकड़ो के आधार पर की जाए तो केंद्र हो या फिर प्रदेश की सरकारे अखबारों टीवी चैनलो में करोडो अरबो रुपये विज्ञापन में खर्च कर देती है । बावजूद इसके डेंगू चिकनगुनिया के मरीजो के लिए मुक़म्मल चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं हो पाती और पीड़ितों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है । अब भी समय है सरकारों को सचेत होकर चिकित्सालय में रिक्त पड़ी डॉक्टरों की जगह को भरना चाहिए । चिकित्सालय दवा भण्डार केंद्र में समुचित दवाओं पर ध्यान देना चाहिए । क्योंकि विज्ञापनों से सिर्फ लोगो को जागरूक किया जा सकता है जोकि जरुरी भी है लेकिन इसके साथ साथ जिलाचिकित्सालय , अर्धसरकारी चिकित्सालय व् निजी अस्पतालों में भी सरकारों को ध्यान देना चाहिए । क्योंकि वोटो की अपेक्षा जिनसे रखी जा रही है वह माकूल उपचार न मिल पाने के कारण डेंगू चिकनगुनिया का शिकार हो रहे है । जिसका खामियाजा उनके परिवारों को भुगतना पड़ता है । मेरे स्वयं के विचार से अगर करोडो अरबो के विज्ञापन की जगह पीड़ितों को मच्छरदानी बाँट दी जाती तो प्रति वर्ष मारने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि ना होती । लेकिन अफ़सोस जुमले लुभावने वादों के सिवा जनता को कुछ नहीं मिलता । 


( लेखक के अपने विचार )

आभार

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव 

Sunday 1 October 2017

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जैसा बालक तो सभी चाहते है तो फिर राम के चरित्र के मंचन रामलीला से दूरी कैसी ....

युगों युगान्तर से मानव कल्याण के लिए पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि जब जब मनुष्य रूपी प्राणी ही नहीं वरन ब्रह्माण्ड के सभी प्राणियों पर जब जब आसुरि शक्तियों के तरफ से आक्रमण किया गया या किसी तरह की कोई विपदा आयी ,तब तब ॐ शक्ति ने विभिन्न रूपो में धरती पर अवतरित होकर मनुष्य को अधर्म पर धर्म की विजय दिलाकर धर्म कर्म के रास्ते पर चलने का मार्ग प्रसस्त किया । इसके साथ ही अलग अलग नामो से विख्यात होकर मानव जीवन के कल्याण के लिए प्रेणना के स्त्रोत बने ।


त्रेतायुग में विश्व की राजधानी अयोध्या नरेश महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के पुत्र के रूप में साक्षात् भगवान् विष्णु ने अवतार लिया । श्रीरामचरितमानस के सभी कांडों में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री राम के चरित्र का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है कि जो भी श्रीरामचरितमानस का पाठ करेगा वह मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के आदर्श जीवन की लीलाओं से खुद को परिपूर्ण कर लेगा । जिस तरह कहा गया है कि रघुकुल रीती सदा चली आयी ,प्राण जाए पर वचन ना जाए को यथार्थ करते हुए माता कैकयी के वचन का पालन किया । महापंडित महाज्ञानी लंकापति लंकेश्वर रावण को युद्ध में परास्त कर अयोध्या लौटे । श्री राम ने सभी कर्तव्यों का पालन करते हुए क्षत्रिय धर्म के साथ एक श्रेष्ठ पुत्र पति पिता व् भ्राता के साथ साथ अयोध्या की प्रजा के राजा बन संपूर्ण विश्व का उद्धार किया।



तभी से अयोध्या ही नहीं विश्व में रामलीला भव्यता से मनाई जाती है इतना ही नहीं हर कोई पुरुषोत्तम श्री राम के रूप में बालक की प्राप्ति चाहते है ,बावजूद इसके कोई भी अपने बच्चो को रामलीला के मंचन देखने नहीं भेजना चाहता । जिसके चलते बदलते परिवेश में रामलीला ओझल होती जा रही है । जहाँ कही प्राचीनतम परंपराओं को निभाते हुए रामलीला का मंचन किया जा रहा है वही कुछ रामलीला दूसरे त्योहारों की अपेक्षा कम होती जा रही है । देखा जा रहा है कि लोग श्री राम के चरित्र के दर्शन से कटते जा रहे है । विडम्बना तो यह है कि आज की रामलीला महज गिनती में सीमित रह गयी है । भगवान श्री राम के आदर्शों से दूर हो रहे लोग रामराज्य की कल्पना तो जरूर कर रहे है लेकिन रामलीला में सम्मलित होने से कतराते है । लंकेश्वर रावण का बुराई पर अच्छाई असत्य पर सत्य की विजय का दहन तो कर दिया जाता है लेकिन अपने हृदय में कोई श्री राम के आदर्शों को नहीं उतार रहा है । रामलीला के अस्तित्व को ख़त्म होने से बचाना है और श्री राम के चरित्र से प्रेणना लेकर रामराज्य की स्थापना करनी है । इतना ही नहीं आने वाली पीढ़ी को श्री राम पुरुषार्थ के चरित्र का वर्णन कर मानव कल्याण में अपना सहयोग देना है ।

आभार

अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव