यह तस्वीर अयोध्या के राम की पैड़ी की है जोकि इनदिनों आईने की तरह झलक रही है , सरयू नदी किनारे बसी अयोध्या का नज़ारा देखते ही बनता है और हो भी क्यों ना ... प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राचीनतम परंपरा का निर्वाहन करने स्वयं अयोधया पहुँच रहे है । त्रेतायुग की परिकल्पना के फलस्वरूप श्री राम के अयोध्या आगम पर अयोध्या की रोशनी से समग्र ब्रम्हांड प्रकाशित जगमगा रहा था उसी परिकल्पना को जीवांत करने के लिए दीपावली का पर्व बड़े हर्षउल्लास धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी चल रही है।
अयोध्या कई सदियों से तिरस्कृत रही , दशक बदले ,निज़ाम बदला ...मुगलो से अंग्रेजी हुकूमत और फिर आज़ाद भारत लोकतान्त्रिक देश की 70 सालो में सरकारें बदली लेकिन अयोध्या से गुजरने वाली सियासी राजनीतिक वोटो की धारा अयोध्या की गलियो को विकास के उन पन्नो से ना जोड़ सकी ,जिस हक़ के लिए अयोध्या सदियों से विकास की आस लगाए बैठी रही ... यह मैं नही कह रहा , ये कह रही है अयोध्या की वो आँखे जिन्होंने अयोध्या को पूर्णिमा अमावस की रातों की तरह बदलते देखा है ।
उन आँखों में आज विकास के दीपक जलते देखे मैंने जिन्होंने तंग गलियों में बदलसी और बदहाली के अंधेरो को करीब से देखा है , जुबां हो या बेज़ुबान लफ्ज़ एक ही सुनाई दिए आज मुझको की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक दो और दौरे अयोध्या के कर लेते तो अयोध्या नगरी की तस्वीर तक़दीर बदल जाती , और बदलेगी भी क्यों नही ! जो मुख्यमंत्री अयोध्या को अपने मन के ह्रदय में बसाते है उनके आगमन से पहले ज़ख्म खायी सड़को पर मरहम रख दिया जाता है , जिन मंदिरों में रंगरोगन नही हो पाता उनको रंग बिरंगे रंगों से सुशोभित कर दिया जाता है , हर उस टूटे की मरामम्मत करवा दी जाती है जिसकी आस में ना जाने कितनी आँखे बूढ़ी हो चुकी है ।
भावनाओ से ओत प्रोत हो जाता है मेरा मन जब उनको लिखता हूँ जिनसे बस चलते चलते यूँ ही अयोध्या का हाल चाल ले लिया करता हूँ ...... बोलो जय श्री राम
आभार
(लेखक के अपने विचार )
अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव