कहते है ज्ञान से बड़ा कोई खज़ाना नही है , कोई ऐसी दौलत नही है जो ज्ञान को खरीद सके , ज्ञान जिसे कोई चुरा नही सकता । क्यों कह रहा हूँ मैं ...आखिर ज्ञान को ही सर्वोत्तम क्यों माना गया है । ज्ञान की परिभाषा को परिभाषित करना यानी सूरज को दिए दिखाने जैसा है ।
बात जब 2017 को अलविदा कहने की चल रही है। हर किसी मे यह बताने की झलक दिख रही है कि उस अमुक व्यक्ति ने वर्ष 2017 में किन उपलब्धियों पर फतह हासिल की और उन्होंने क्या खोया ... हर किसी ने अपने बीते अतीत और आने वाले भविष्य पर मनन करना शुरू कर दिया है । आपके मन मे सवाल उठ रहा होगा आखिर मैं ऐसा आपको क्यों बता रहा हूँ ....
2017 मेरे लिए उन शब्दों में से एक है जिसे कहकर तो नही बताया जा सकता । लेकिन अपने अतीत को शब्द दे पाना भी नए वर्ष के जश्न में चारचांद लगा देने जैसा होता है । 2017 ने मुझे जो दिया वह किसी ऐसे ख़ज़ाने से कम नही है जिसकी लालसा छोड़ मनुष्य उस शोहरत के पीछे भागता है जोकि भौतिक है अल्पसमय मात्र का एक वस्तु है लेकिन उन सबसे ऊपर उठकर एक इसी दौलत है जिसे ज्ञान कहा गया है ।
बीते कई वर्षों की तरह आज भी मेरे पास कोई जमा पूंजी नही है । ना ही कोई धन दौलत । है तो बस ज्ञान ,अनुभव ,और कुछ और प्राप्त कर लेने की लालसा से ओत प्रोत मेरा मन ,जिसके अंदर ना तो कोई प्रेम धुन बज रही है और ना ही नए वर्ष के जश्न में डूबी महफ़िल का कोई साथी । लेकिन उससे बढ़कर आज मेरे पास कोई साथी है तो वह ज्ञान का भंडार अर्जित कर उसमे निरंतर कुछ नया करने का प्रयास जिससे मैं उस ख़ज़ाने को भर सकूँ जो अनंत है । अद्वितीय है । अकल्पनीय है । एक ऐसा महासगार जिसमे कोई भी गोता लगा सकता है ।
मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि आप वर्ष भर ज्ञान अर्जित करते रहिए , क्योंकि भौतिक जीवन मे जो कुछ आप प्राप्त करते है उनमें सबसे महान और उच्च स्थान पर ज्ञान को रखा गया है । जो ज्ञानी है उसके सामने सभी नतमस्तक होते है ।
( लेखक के अपने विचार )
आभार
अभिषेक सावन्त श्रीवास्तव
नए वर्ष की आप सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं आपका नया वर्ष मंगलमय हो ।